पूर्व गोरखा सैनिकों ने किया नेपाल सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन 


महराजगंज । सीमा विवाद को मुद्दा बनाकर भारत से संबंध खराब करने को लेकर पूर्व गोरखा सैनिकों ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही प्रदेश नंबर पांच रूपनदेही के मुख्यमंत्री को ज्ञापन पत्र भी सौपा। नेपाल के गोरखा भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंट में काम करते हैं। 
इस रेजिमेट से सेवानिवृत होने के बाद नेपाल में रह रहे हैं। उनके साथ नेपाल सरकार भेदभाव कर रही है जिससे वे नाराज हैं। नेपाल में दो लाख पूर्व गोरखा सैनिकों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन यूनाइटेड एक्स-सर्विसमैन एंड पुलिस वेलफेयर फेडरेशन आंदोलन में शामिल है।
संयुक्त भूतपूर्व सैनिक एवं प्रहरी कल्याण महासंघ नेपाल के सचिव गगन गुरुंग ने कहा कि ओली सरकार पिछले महीने मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार भारत, सिंगापुर और यूनाइटेड किंगडम के सेवानिवृत्त भूटानी सैनिकों को निशाना बनाया और उन्हें सामाजिक सुरक्षा भत्ते से वंचित किया जा रहा है। 
विदेश जाना कोई जरूरी नहीं है। यह एक मजबूरी है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश हमें दूसरे दर्जे के नागरिकों के रूप में मानते हैं। अगर राज्य या सरकार इस भेदभावपूर्ण फैसले को तुरंत वापस नहीं लेती है तो हमें आंदोलन तेज होगा। रमेश गुरुंग ने कहा कि हमारे पेंशन के माध्यम से एक दिन में लगभग 20 करोड़ रुपये नेपाल में आ रहा है। सेवा के दौरान, हमारा वेतन भी देश में आता है। भले ही हमने विदेश में सेवा की हो, हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दे रहे हैं। हमारा रिश्ता दोनों देश के लोगों के साथ है। गोरखा सैनिकों के लिए भारत और नेपाल दोनों देश वंदनीय है। इसलिए, हम नेपाल सरकार से इस सदियों पुराने रिश्ते को और मजबूत करने का अनुरोध करना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कड़वाहट नहीं होनी चाहिए। इस मौके पर अर्जुन, रामचन्द्र, भीमसेन, शिव गुरुंग, शीतल गुरुंग मौजूद रहे।